पाणिनिशाला
पाणिनीय शोध संस्थान जिसकी अध्यक्षा डॉ. पुष्पा दीक्षित हैं उनके निवास पर 2002 से लगभग प्रतिवर्ष पाणिनिशाला का आयोजन किया जाता है जिसमें सरल विधि से व्याकरण अध्ययन के हेतु देश भर से छात्र तथा प्राध्यापक उपस्थित होते हैं, जिनके निवास और भोजन की व्यवस्था जनसहयोग से कोसल संस्कृत समिति के द्वारा की जाती है तथा अध्यापन डॉ. पुष्पा दीक्षित द्वारा किया जाता है। इस पाणिनिशाला में भारत के अतिरिक्त अमेरिका से श्री नरेन्द्रन्, नेपाल से दावा ल्हासा, बाँगलादेश से लुब्ना मरियम, शिकागो से वरुण खन्ना, चीन से चाउ यन् आदि ने भी आकर पाणिनीय व्याकरण का गूढ़ अध्ययन किया है।
राष्ट्र के विभिन्न प्रदेशों में पाणिनिशाला - राष्ट्रिय संस्कृत संस्थान, दिल्ली द्वारा अपने विभिन्न परिसरों में भी पाणिनि कार्यशाला का आयोजन किया जाता है जिसमें सरल विधि से पाणिनीय व्याकरण के अध्ययन के हेतु छात्र तथा प्राध्यापक उपस्थित होते हैं।
पाणिनिशाला - दि. 15.5.2014 से दि. 15.6.2014 तक ( स्‍थान - कार्यालय, पाणिनीयशोधसंस्थान )
विषय - पाणिनीय अष्टाध्यायी के संरचनाविज्ञान के साथ साथ 1 माह में तिङ्कृत्सिद्धि।

कार्यशाला के प्रतिभागियों के लिये आवश्‍यक दिशा निर्देश

  • कार्यशाला में आवास, भोजन तथा शिक्षा की निःशुल्क व्यवस्था है।
  • पाठ्यसामग्री संलग्न है। इसका अध्ययन करके दूरभाष से उसकी परीक्षा देकर 1 मई 2014 तक प्रवेश प्राप्त कर लें।
  • संस्कृतभारती द्वारा प्रकाशित पाणिनीयमूलधातुपाठ में 1930 धातु हैं, जो 10 गणों में विभक्त हैं, उनका पाठ करें।
  • पाठ्यक्रम के साथ अष्टाध्यायी का कुछ भाग संलग्न है, उसका पाठ करें।
  • प्रक्रियानुसारी पाणिनीय धातुपाठ, अष्टाध्यायी सू़त्रपाठ और अष्टाध्यायी सहजबोध साथ लेकर आयें।
  • पुस्‍तकों की अनुपलब्‍धता पर पूर्वसूचना दें ताकि पुस्तकें यहाँ मँगाकर रखी जा सकें।
  • अपने सोने के लिये बिस्तर तथा अपने खाने के लिये थाली, कटोरी, ग्लास साथ लेकर आयें।


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